Sunday, March 13, 2011

स्विसबैंक काला धन वापस लाओ

स्विसबैंक काला धन वापस लाओ -
*पूरी दुनिया में कर चोरी और भ्रष्ट-आचरण से कमाया गया धन सुरक्षित रखने
का पहली पसंद स्विस-बैंक रहे हैं, क्योंकि वहां खाताधारकों के नाम गोपनीय
रखने संबंधी कानूनों का पालन पूरी द्रढ़ता से किया जाता रहा है . नाम की
जानकारी बैंक के कुछ आला-अधिकारियों को ही रहती है . स्विस बैंक से
सेवानिवृत्त एक अधिकारी रूडोल्फ एल्मर ने 200 भारतीय खाताधारकों की सूची
विकीलीक्स को सौंप दी है . इसी प्रकार फ़्रांस सरकार ने भी हर्व
फेल्सियानी से मिली HSBC bank की CD Global Financial Institute को
उपलब्ध कराई है , जिसमें कई भारतीयों के नाम दर्ज हैं .
भ्रष्टाचार के खिलाफ United Nations ने एक संकल्प पारित किया है
जिसका मकसद है गैर-कानूनी तरीके से विदेशों में जमा काला धन वापस लाया जा
सके . इस संकल्प पर भारत समेत 140 देशों ने हस्ताक्षर किये हैं . 126
देशों ने इसे लागू कर कला धन वसूलना भी प्रारम्भ कर दिया है . यह संकल्प
2003 में लागू हुआ था , भारत ने 2005 में इस पर हस्ताक्षर किये. लेकिन आज
तक इसके सत्यापन में टालमटोल हो रहा है .
switzerland के क़ानून के अनुसार कोई भी देश इस संकल्प को
सत्यापित किये बिना विदेशों में जमा काले धन की वापसी की कार्यवाही नहीं
कर सकता . परन्तु switzerland सरकार न केवल सहयोग के लिए तैयार है बल्कि
वहां की संसदीय कमेटी ने तो इस मामले को लेकर दोनों देशों के बीच हुए
समझौते को भी मंजूरी दे दी है .
परन्तु प्रधानमंत्री और उनके रहनुमा काले-धन की वापसी की
कोशिशों को इसलिए अंजाम तक नहीं पहुंचा रहे हैं क्योंकि नकाब हटने पर
सबसे ज्यादा फजीहत कांग्रेसी- कुनबे और उनके वरदहस्त ब्यूरोक्रेट्स की
होनी है .
नवम्बर 19, 1991 को Schweizer Illustrierte - जो कि
switzerland की एक प्रसिद्ध पत्रिका है , ने खुलासा करते हुए तीसरी
दुनिया के कुछ नामी गिरामी नेताओं की सूची जारी की थी जिनके नाम अकूत धन
स्विस बैंकों में जमा है , इस सूची में राजीव गांधी का भी नाम था . यह
पत्रिका कोई आम पत्रिका नहीं है . इस पत्रिका की लगभग 215000 प्रतिया
छपती हैं और इसके पाठकों की संख्या भी करीब 917000 है , जो पूरे
switzerland की वयस्क आबादी का छठवा हिस्सा है . KGB रिपोर्ट के खुलासे
के अनुसार सोनिया गांधी जो मृत राजीव गांधी की विधवा के रूप में अपने
अवयस्क लड़के के बदले जो खता संचालित करती हैं उसमें 2.5 बिलियन
स्विस-फ्रेंक हैं . जो लगभग 2.2 bilion डॉलर हुए , यह 2.2 bilion डॉलर
का खाता तब भी सक्रिय था जब राहुल गांधी 1998 में वयस्क हुए थे. आज यह
राशि 84000 करोड़ रू. होने का अनुमान है .
हम जानना चाहते हैं कि क्या वजह है कि जब सारे देश स्विस-बैंक
में जमा अवैध व काले धन को वापस लाने की कवायद में जुटे हैं वहीं सोनिया
सरकार इस मुद्दे पर मौन क्यों हैं ?
स्विस बैंकों में भारत के नेताओं और उद्योगपतियों का
इतना रूपया जमा है कि भारत पर जितना विदेशी कर्ज है उसका एक बार नहीं 13
बार हम भुगतान कर सकते हैं .
यदि यह धन भारत के गरीबी - रेखा से नीचे रहने वाले 45
करोड़ लोगों के बीच में बाँट दिया जाए तो हर इंसान लखपति हो जाये .
काला धन वापस प्राप्त करने की लडाई अभी नाईजीरिया जीत चूका है
. नाईजीरिया के राष्ट्रपति सानी अबाचा ने अपनी प्रजा को लूटकर
स्विस-बैंकों में 33 करोड़ अमेरिकी डॉलर जमा कराये थे . अबाचा को अपदस्थ
कर वहां के शासकों ने स्विस-बैंकों से राष्ट्र का धन वापस लाने के लिए
लम्बी लडाई लड़ी और सफलता हासिल की . जब नाईजीरिया के शासक ऐसा सोच और कर
सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते?
स्विस बैंकों से धन वापस लाने की तीन शर्तें हैं -
-- पहली- क्या वह धन आतंकी गतिविधियों को चलाने के लिए जमा किया गया है ?
--दूसरी-- क्या वह धन मादक-द्रव्यों के धंधे से प्राप्त किया गया है ?
--तीसरी -क्या वह धन देश के कानून को भंग करके प्राप्त किया गया है ?
इसमें से तीसरे कारण को आधार बनाकर स्विस बैंकों में जमा धन वापस
लाया जा सकता है .
--भाजपा का मानना है स्विस बैंकों में जमा भारत का धन अवैध रूप से ,
भ्रष्ट साधनों के द्वारा एकत्र करके जमा किया गया है अतः केंद्र-सरकार एक
Legal-Framework तैयार कर इसे वापस लाने की दिशा में प्रयास करे .

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