- दुःख-दर्द हमारा मुक्कदर बनाते है
- ,सोये हुए आदमी को जगाते है
कुछ करने की आग दिल में जलाते है,
तडफ देकर ये सहन्सा बनाते है
दंश महापुरषो नेअनेक झेला है
,इसलिए उनकी याद में लगता मेला है
पीडा व् कष्ठ से न घवराना तुम
पीडा व् कष्ठ से न घवराना तुम
,इसे ही हथियार बना लेना तुम,,
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