२६ अगस्त २००६ का दिनमध्यप्रदेश में छात्र संघ चुनाव चल रहा था तभी उज्जैन के मादव महाविद्यालय में एक दुखद घटना घटी जिसे इतिहास में याद रखा जायेगा
देश के पवित्रतम शहरों में से एक महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में २४,२५,२६ अगस्त को महाविद्यालयो में अप्रत्यछ पद्धिति से छात्र संघचुनाव था चुनाव के तीन चरण थे प्रथम चरण में कच्छा में प्रथम श्रेणी आने बाले छात्रों को प्रतिनिधि माना गया जिसके लिएआवेदन करने की तरीक २४ अगस्त थी जिसमे ५७ क्लास में से28 ने आवेदन किये शेष क्लास निरंक रह गयी २८ में से १६ प्रतिनिधी विद्यार्थी परिषद के चुनकर आये शेष ८ प्रतिनिधी प्रतिद्वन्दी छात्र संगठ्नो के थे दुसरे चरण में चुनाव नहीं हुए तीसरे चरण ं८ फार्म आये ३ निरत हो गए ५ प्रतिनिधी विद्यार्थी परिषद् के चुनकर आये , अब भारयतीरास्ट्रीय छात्र संघटन को अपनी हार नजर आने लगी इसलिए सभी इक्कठे होकर छात्र संघ चुनाव को निरस्त करने की मांग करने लगे, विध्यार्ती परिषद के कर्यकर्तायो से बात करने के लिए भारयतीरास्ट्रीय छात्र संघटन,दिशा, विद्यार्थीमोर्चा uniyan भी इन्होने बातचीत के लेकिन विद्यार्थी परिषद ने कहा की हम हमेशा लोकतंत्र में छात्र संघ चुनाव को आवश्यक मानते है इसलिए चुनाव होना ही चाहिए ,विद्यार्थी परिसद के कार्यकर्ता नियमानुसार चुनाव हो इसकी बात सभी चुने हुए प्रतिनिधियों को लेकर शशिरंजन अकेला और विमल तोमर के साथ प्रतिनिधि मंडल के रूप में महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य एम्० एल० नाथ व् छात्र संघ चुनाव प्रभारी सभरवाल से बातचीत करने गए और महिदपुर तहशील में भी समितियों के चुनाव न होने पर चुनाव करने का हवाला दिया क्योंकि सभरवाल साहब को अपनी बात रखकर सभी कार्यकरता तत्कालीन शिछा मंत्री तुकोजीराव पवार को जापन सोपने के लिए मादव महाविद्यालय से चले आये इधर विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता बहार आये १० मिनट ही हुआ होगा की आजाद यादव के नेतत्व में कांग्रेश का झडा हाथ में लिए १०००-१२०० लोग महाविद्यालय के बीरीकेट्स तोड़ते हुए महाविद्यालय में घूस आये जहा धीरजयादव,पंकजयादव,आकिबकुरेशी,आशीषगुप्ता,आजादयादव ने महावीद्यालय के कई कर्मचारियों सहितं एम्० एल० नाथ,हरभजन सभरवाल की भी पिटाई की प्राचार्य ने तो इनके किलाफ़ मुकदमा भी दर्ज कराया है जो अभी उज्जैन नायायालय में लंबि त है इसके बाद सभरवाल शाहब सदमे आगये बेहोश होकर गिर पड़े जहा से उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहा जाकर उनकी म्रत्यु हो गयी
देश के पवित्रतम शहरों में से एक महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में २४,२५,२६ अगस्त को महाविद्यालयो में अप्रत्यछ पद्धिति से छात्र संघचुनाव था चुनाव के तीन चरण थे प्रथम चरण में कच्छा में प्रथम श्रेणी आने बाले छात्रों को प्रतिनिधि माना गया जिसके लिएआवेदन करने की तरीक २४ अगस्त थी जिसमे ५७ क्लास में से28 ने आवेदन किये शेष क्लास निरंक रह गयी २८ में से १६ प्रतिनिधी विद्यार्थी परिषद के चुनकर आये शेष ८ प्रतिनिधी प्रतिद्वन्दी छात्र संगठ्नो के थे दुसरे चरण में चुनाव नहीं हुए तीसरे चरण ं८ फार्म आये ३ निरत हो गए ५ प्रतिनिधी विद्यार्थी परिषद् के चुनकर आये , अब भारयतीरास्ट्रीय छात्र संघटन को अपनी हार नजर आने लगी इसलिए सभी इक्कठे होकर छात्र संघ चुनाव को निरस्त करने की मांग करने लगे, विध्यार्ती परिषद के कर्यकर्तायो से बात करने के लिए भारयतीरास्ट्रीय छात्र संघटन,दिशा, विद्यार्थीमोर्चा uniyan भी इन्होने बातचीत के लेकिन विद्यार्थी परिषद ने कहा की हम हमेशा लोकतंत्र में छात्र संघ चुनाव को आवश्यक मानते है इसलिए चुनाव होना ही चाहिए ,विद्यार्थी परिसद के कार्यकर्ता नियमानुसार चुनाव हो इसकी बात सभी चुने हुए प्रतिनिधियों को लेकर शशिरंजन अकेला और विमल तोमर के साथ प्रतिनिधि मंडल के रूप में महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य एम्० एल० नाथ व् छात्र संघ चुनाव प्रभारी सभरवाल से बातचीत करने गए और महिदपुर तहशील में भी समितियों के चुनाव न होने पर चुनाव करने का हवाला दिया क्योंकि सभरवाल साहब को अपनी बात रखकर सभी कार्यकरता तत्कालीन शिछा मंत्री तुकोजीराव पवार को जापन सोपने के लिए मादव महाविद्यालय से चले आये इधर विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता बहार आये १० मिनट ही हुआ होगा की आजाद यादव के नेतत्व में कांग्रेश का झडा हाथ में लिए १०००-१२०० लोग महाविद्यालय के बीरीकेट्स तोड़ते हुए महाविद्यालय में घूस आये जहा धीरजयादव,पंकजयादव,आकिबकुरेशी,
सहारासमय चेनल द्वारा दिखाए गए आरंभिक फुटेज में स्पस्ट रूप से धीरजयादवपंकजयादव,आकिबकुरेशी,आशीषगुप्ता,आजादयादवके फोटो दिखाई दे रहे है जो हाथापाई करते नजर आ रहे है पर इन सभी को विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता बताया ,
कुछ समाचार चैनलों ने बिना सत्य को जाने प्रतियोगिता के इस दोरमें जैसे समाचर दिखाना सुरु कर दिया फिर तो समाचार चैनलों में होड़ मच गयी आरम्भ में प्रतियोगिता के कारण बाद में हमने जो बताया वह सत्य है के आधार पर कुछ मीडिया व् राजनीती प्रेरित लोगो ने गुरु की हत्या का आरोप विद्यार्थी परिषद के ऊपर लगा दिया !
आरम्भ में हिमांसु सभरवाल चुप रहा लेकिन नेता प्रितिपछ श्री मती जमुना देवी और पूर्व मंत्री कांग्रेश सज्जन सिंह बर्मा सभरवाल के लड़के हिमांसु सभरवाल से अकेले में मिले उसके बाद ही हिमांसु ने विद्यार्थी परिसद पर हत्या के आरोप लगाना आरम्भ किये ,मामला उज्जैन शेशन कोर्ट में जाने से पहले ही सी० वी० आइ० से जाँच करवाने की मांग की फिर उज्जैन न्यायालय से फोरेंसिक जाँच गुजरात गयी तो निस्पछ जाँच पर संदेह व्यक्त किया,फिर उज्जैन जिला न्यायलय में चल रही सुनबाई को लाकर उच्चतम नायालय दिल्ली में गया और कहा की मुझे भा० ज० पा० शाशित राज्य में होने बाली सुनबाई से न्याय पाने की उम्मीदें नहीं है उच्चतम न्यायलय ने मामले की सुनबाई कांग्रेस शासित महाराष्ट्र के शहर नागपुरमें केश को स्थानान्तर्ण करदिया तब भी कैश प्र्भाभित होने का संदेह यह कहकर किया की नागपुर रास्ट्रीय स्वय सेवक संघ का मुख्यालय है फिर हिमांसु को कोर्ट ने जब गवाही के लिए बुलाया तो कई बार बुलाने पर आया
हिमांसु ने कई बार न्यायलय पर संदेह प्रगट किया यह न्यायालय की अवहेलना का मामला था
विद्यार्थी परिषद् गुरु शिष्य की परम्परा का निर्वाह करने छात्र संघठन है भारत के जीवन मूल्य और संस्क्रती को आधार बनाकर राष्ट्रीय पुनः निर्माण के व्यापक छेत्र में कार्य करने वाले संघठन पर कुछ मीडिया एवम राजनीती प्रेरित लोगो ने जिस तरह से आरोप लगाये वह लोकतान्त्रिक व्यवस्था में न्यायलय पर कुठारघात है प्रकरण के न्यायलय में लंबित होने के बाद भी विद्यार्थी परिसद के कार्यकर्ताको हत्यारा घोषित कर दिया सविधान में निर्णय करने का अधिकार न्यायलय को दिया गया है यदि कोई भी किसी के बारे में न्यायलय में लंबित मामलो में निर्णय देने लगा तो हमारी न्याय व्यवस्था का क्या ? होगा और यह अपराध तब और भी गंभीर हो जाता है जब यह सड़यंत्रपूर्ण हो
न्यायालय ने बाइज्जतसभी को आरोप मुक्त कहकर बरी कर दिया
१३ जुलाइ को नागपुर न्यायलय ने आपना बहु प्रतिछित निर्णय सुना दिया जिसमे सभी आरोपियों को यह कहते हुए की सभी आरोपी बे कसूर है बाइज्जत बरी कर दिया नागपुर नयायालय में ६९ गवाहों के वयानो से स्पष्ठ हो गया जिसके निष्कर्ष स्वरूप न्यायाधीस महोदय ने कहा की कोई भी साछ्य अभिलेख पर प्रमाणित नही है इसलिए यह भारतीय दंड सहिंता की धारा ३०२/१४७ का मुकदमा प्रमाणित नहीं होता है न्यायलय में घटना के समय आरोपी विमल तोमर शशिरंजन अकेला,विशाल्रराजोरिया,हेमंत दुबे ,सुधीर यादव,पंकज मिश्रा उपरोक्त में से कोई की उपस्तिथी प्रमाणित नहीं हुयी है फिर भी राजनीती प्रेरित व् कुछ मिडिया कर्मी अब भी माननीय न्यायलय का मकोल उड़ा रहे है जिससे यह प्रमाणित हो जाता है की विद्यार्थी परिषद पर आरोप इनकी साजिस थी
विद्यार्थी परिषद के६० बर्ष के कार्य काल में अपनी अनुशासित छवि के लिए जाने जाती रही लेकिन जिन लोगो ने योजना पूर्वक विद्यार्थी परिषद की छवि को कलंकित करने का प्रयास किया उनके के मुह पर माननीय नायायालय का निर्णय सत्यता का तमाचा है दुनिया के सामने विद्यार्थी परिसद पर जो आरोप इन लोगो ने लगाये निर्णय के बाद इनको विद्यार्थी परिषद से माफी माँगनी चाहिए थी श्रीकिशन शिछास्थली,गुरु संदीपनी की तपोभूमि पर विद्यार्थी परिषद आज सुनियोजित आरोपों की अग्नि परीछा से निकलकर निर्दोष साबित हुई है
लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ ये तो नहीं की कोई भी अपने स्वार्थ पूर्ती के लिए न्यायलय का भी मखोल उडाये ,किसी कीभावानायो को आहत करे,नयायालय के निर्णय के पूर्व ही अपना निर्णय सुनाये ऐसे लोगो का नकाब इस केश में उतर गया है माननीय नयायालय को ऐसे लोगो को सबक सिखाना चाहिए जिससे ये भविष्य में किसी भले लोगो पर बेबुनियाद आरोप न लगायेपर ये लोग अब भी अपनी ओछी हरकतों से बाज नहीं आ रहे है
देश का ही नहीं विश्व का सबसे बड़ा छात्र संघटन जो स्वंय में अनुशाषित है ,सुसंस्कृत है पिछले ६० वर्षो से छात्रो को राष्ट्र भक्ति के भावः के जागरण का पुनीत कार्य करता आ रहा है आज फिर अग्निपरीछा से बहार आया है
-- उसके कर्यकर्तायो के होसले और धैर्य को शत शत नमन की उन्होंने सत्य की लडाई वडी इमानदारी और विन्रमता के सथ लड़कर छात्र संघटनों के लिए एक और आदर्श प्रस्तुत किया है, बेबुनियाद आरोपों के कारण ३ वर्षजेल में रहे उन कार्यकर्ताओ के आत्मबल को भी सलाम !जिन्हें एकबार भी जमानत तक नहीं मिली
-- उसके कर्यकर्तायो के होसले और धैर्य को शत शत नमन की उन्होंने सत्य की लडाई वडी इमानदारी और विन्रमता के सथ लड़कर छात्र संघटनों के लिए एक और आदर्श प्रस्तुत किया है, बेबुनियाद आरोपों के कारण ३ वर्षजेल में रहे उन कार्यकर्ताओ के आत्मबल को भी सलाम !जिन्हें एकबार भी जमानत तक नहीं मिली
क्या बेकसूरजेल में ३ वर्ष गुजारने वाले लोगो की छतिपूर्ती साझिशकर्ता करेंगे ? बेकसूर लोगो को जेल में रखने का परिमार्जन मिले एसा भी कोई विधान सविधान में होना चाहिए सत्य जिनके आचरण में , डरते नहीं दूस्प्रचार से,
, झूठ सारा हो खडा ,विचलित नहीं होते हार से ,
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