''हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए ,
अब इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए ,
सिर्फ हंगामा खडा करना मेरा मकसद नहीं ,
मेरी कोशिश है कि यह सूरत बदलनी चाहिए ,
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही ,
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए ..........................''
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