Friday, August 14, 2009

ना जल्द ही कठिन हो जाएगा। यूजीसी ऐसा कड़ा नियम लाने जा रहा है जिसके तहत इस तरह की डिग्रियां
डिस्टेंट एजुकेशन के तहत नहीं मिल पाएंगी। रिसर्च पेपर का मूल्यांकन दो विशेषज्ञों द्वारा किया जाएगा, जिनमें से एक राज्य के बाहर का होगा।
यूजीसी के न्यूनतम मानक एवं प्रक्रिया अधिनियम 2009 के अनुसार किसी भी यूनिवर्सिटी, संस्थान या डीम्ड यूनिवर्सिटी द्वारा डिस्टेंट एजुकेशन के जरिए एमफिल या पीएचडी प्रोग्राम नहीं चलाया जा सकेगा। गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए छात्रों को प्रवेश परीक्षा और इसके बाद इंटरव्यू से गुजरना होगा। डॉक्टरेट के उम्मीदवार अपने रिसर्च क्षेत्र पर चर्चा करेंगे। दाखिले के बाद छात्रों को एक सेमेस्टर की न्यूनतम अवधि के लिए रिसर्च मेथडॉलजी पर काम करना होगा। किसी छात्र को थीसिस लिखने के अगले चरण की अनुमति देने के लिए न्यूनतम योग्यता जरुरत के बारे में यूनिवर्सिटी या संस्थान फैसला करेगा। शोध छात्रों को संस्थान के दिशा-निर्देशों के अनुसार उचित समय के भीतर थीसिस का मसौदा पेश करना होगा।

जमा करने से पहले छात्र को विभाग में थीसिस की प्रस्तुति करनी होगी और फीड बैक लेना होगा। थीसिस जमा करने से पहले छात्रों को संबंधित पत्रिका में एक शोधपत्र प्रकाशित कराना होगा। यूजीसी के पीएचडी नियम के अनुसार डिग्री हासिल करने वाले पीएचडी धारकों को लेक्चररशिप की योग्यता अर्जित करने के लिए नेट या स्लेट परीक्षा पास करने से छूट

2 comments:

  1. श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। जय श्री कृष्ण!!
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    INDIAN DEITIES

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  2. कड़ाई जरूरी है। शिक्षा में 'सदाव्रत' नहीं होना चाहिये।

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