''हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए , अब इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए , सिर्फ हंगामा खडा करना मेरा मकसद नहीं , मेरी कोशिश है कि यह सूरत बदलनी चाहिए , मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही , हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए ..........................''
Friday, August 14, 2009
नई दिल्ली ।।( नवभारत टाईम्स ) एक चीनी रणनीतिकार ने अपने लेख में कहा है कि पाकिस्तान , बांग्लादेश , नेपाल और भूटान जैसे अपने मित्र देशों की सहायता से चीन को भारत को 20-30 स्वतंत्र राष्ट्रों में तोड़ देना चाहिए। इस लेख का प्रकाशन भारत - चीन सीमा विवाद पर दोनों देशों के बीच 13 वें दौर की वार्ता की समाप्ति के समय हुआ है। शनिवार को समाप्त हुई वार्ता में चीन ने आपसी रणनीतिक विश्वास और साझेदारी को नए स्तर तक बढ़ाने पर जोर दिया है। चीनी इंटरनैशनल इंस्टिट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज़ ( सीआईआईएसएस ) की वेबसाइट पर प्रकाशित लेख में कहा गया है कि यदि चीन थोड़े से कदम उठाए तो तथाकथित महान भारतीय संघ बिखर सकता है। चेन्नई स्थित सेंटर फॉर चाइना स्टडीज के निदेशक डी . एस . राजन के अनुसार --"लेख के लेखक झान लुई का तर्क है कि तथाकथित भारत राष्ट्र इतिहास में था , इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह एकता केवल हिंदू धर्म पर निर्भर है। "लेख में कहा गया है कि भारत को केवल '' हिंदू धार्मिक राष्ट्र '' की संज्ञा दी जा सकती है। यह जाति आधारित शोषण पर आधारित है और आधुनिकीकरण की राह में बाधा है। लेखक के अनुसार भारत के जातीय विभाजन को ध्यान में रखकर चीन को स्वयं के हित में और पूरे एशिया की प्रगति के लिए असमी , तमिल और कश्मीरी जैसी विभिन्न राष्ट्रीयताओं के साथ एकजुट होना चाहिए और उनके स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना में सहयोग देना चाहिए। लेख में विशेष रूप से भारत से असम की स्वतंत्रता हासिल करने के लिए चीन को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम ( उल्फा ) का सहयोग करने को कहा गया है।
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